यूक्रेन युद्ध का 17 वां दिन

यूक्रेन युद्ध के 17वें दिन शनिवार को रूसी सैनिक राजधानी कीव के और करीब पहुंच गए। उत्तर-पूर्व दिशा से राजधानी की ओर तीन तरफ से तेजी से बढ़ रही रूसी सेना के काफिलों ने शहर पर कब्जे के लिए पूरा जोर लगा रखा है। वहीं, पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से नाराज रूस ने इसके कारण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के गिरने और इससे दुनिया को होने वाले नुकसान को लेकर आगाह किया है।

रूसी सेना ने मैरियूपोल, चेर्निहीव जैसे बड़े शहरों को जोड़ने वाली सड़कों व पुलों को ध्वस्त कर दिया है। रूस की रणनीति ताबड़तोड़ हमले कर कीव को बाकी यूक्रेन से अलग करने की है। एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि रूसी सेना कीव से अब भी 20 मील की दूरी पर है। वहीं, मैरियूपोल में अब तक गोलाबारी के कारण 1,582 लोगों की मौत हो चुकी है।

मस्जिद पर बम, 86 नागरिक थे मौजूद

यूक्रेन सरकार ने आरोप लगाया कि रूस ने मैरियूपोल में एक मस्जिद पर बम बरसाए गए। ऑटोमन साम्राज्य के सुल्तान सुलेमान की बनवाई हुई इस ऐतिहासिक मस्जिद में तुर्की के 86 नागरिकों ने शरण ले रखी थी। इनमें 34 बच्चे थे। हालांकि, हमले में किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं दी गई है।

मेलिटोपोल के मेयर अपहृत, रूस के कब्जे में शहर

यूक्रेन ने आरोप लगाया कि रूसी सैनिकों ने मेलिटोपोल के मेयर इवान फेडोरोव का शुक्रवार को अपहरण कर लिया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इसे आतंकवाद का नया चेहरा बताया। जेलेंस्की ने बताया, अब तक 1300 यूक्रेनी सैनिक युद्ध में मारे जा चुके हैं। यदि रूस सीजफायर की घोषणा करता है तो वह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इस्राइल में वार्ता कर सकते हैं।

राष्ट्रपति जो बाइडन ने लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया और रोमानिया जैसे देशों में रूस से सटी सीमा पर अपने 12,000 सैनिक तैनात किए हैं। हालांकि, उन्होंने साफ कहा कि वे लड़ाई में कूदकर तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत नहीं करने जा रहे। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी यूक्रेन के खिलाफ छेड़े गए युद्ध में कभी विजयी नहीं होंगे।

बाइडन ने हाउस डेमोक्रेटिक कॉकस के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका भले ही यूक्रेन में तीसरा विश्वयुद्ध नहीं लड़ने जा रहा, लेकिन वह नाटो के दायरे में आने वाली हर इंच जमीन की रक्षा करेगा। उत्तर एटलांटिक संधि क्षेत्र (नाटो) 30 उत्तर अमेरिकी और यूरोपीय देशों का एक सैन्य समूह है।

बाइडन ने कहा कि रूसी आक्रमण से निपटने में यूक्रेनी लोगों ने जबरदस्त बहादुरी व साहस दिखाया है, लेकिन अमेरिका द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा सहायता उनके बचाव में अहम रही है। राष्ट्रपति बाइडन बोले- यदि हमने यूक्रेन पर जवाबी कार्रवाई की तो तीसरा विश्वयुद्ध निश्चित है।

चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में मरम्मत शुरू, बहाल होगी बिजली आपूर्ति

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रासी ने जानकारी दी कि चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में बिजली की आपूर्ति फिर से शुरू करने के लिए क्षतिग्रस्त बिजलीलाइनों की मरम्मत तकनीशियनों ने शुरू कर दी है। यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, एक तरफ की बिजलीलाइन की मरम्मत कर दी गई, लेकिन दूसरी तरफ की विद्युत आपूर्ति फिर भी ठप है।

परमाणु संयंत्र की विद्युत आपूर्ति हमले में पूरी तरह से ठप हो गई थी। डीजल जनरेटर से 9 मार्च से संयंत्र में बिजली सप्लाई दी जा रही थी। यूक्रेन ने कहा हमले के बाद बाहरी विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से ठप होने के एक दिन बाद से रेग्युलेटर का परमाणु संयत्र से कम्युनिकेशन खत्म हो गया। चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में खतरा बरकरार है। वहीं, रूस ने संभावित खतरे के दावे से इनकार किया है।

जैविक हथियारों के रूसी दावे पर अमेरिकन दक्षिणपंथियों को यकीन
यूक्रेन में जैविक हथियार बनाने को लेकर अमेरिका पर रूस द्वारा लगाए गए आरोपों को कई अमेरिकियों का ही समर्थन मिलने लगा है। दक्षिणपंथी धड़ों और क्यूएनॉन अनुयायियों ने बाइडन प्रशासन सरकार और मीडिया के खंडनों से ज्यादा क्रेमलिन के आरोपों पर भरोसा जताया है। दूसरी तरफ विशेषज्ञ और जानकार रूसी दावों को निराधार बता रहे हैं।

यूक्रेन पर रूसी हमले के पहले दिन से ही यूक्रेन स्थित अमेरिकी जैविक प्रयोगशालाओं को निशाना बनाने से जुड़ी काफी सूचनाएं ट्विटर पर दी जाने लगी थीं। साजिश सिद्धांतों के समर्थकों और क्यूएनॉन अनुयायियों ने इसे टेलीग्राम जैसे मंचों पर जमकर फैलाया। इनसे जुड़ी अधिकांश पोस्टों में रूसी प्रचार को ही सूत्रों के तौर पर पेश किया गया।

सरकार की सफाई पर भरोसा नहीं

कई टेलीग्राफ यूजर्स ने कहा, उन्हें स्वतंत्र अमेरिकी पत्रकारों और लोकतांत्रिक सरकार से ज्यादा रूसी सूचनाओं पर भरोसा है। एक यूजर ने लिखा, यूक्रेन में अमेरिकी पैसे से बनी ढेरों जैविक हथियार बनाने वाली प्रयोगशालाएं हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने भी ट्वीट के जरिए अमेरिका पर लगे आरोपों को तथ्यात्मक बताया। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक एवरिल हेनस ने कहा, सोवियत संघ भी जैविक हथियार बनाने के आरोप लगाता रहा था। इस बार चीनी मीडिया ने रूस के दावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है।

रूसी प्रचार भ्रामक

मैरीलैंड यूनिवर्सिटी में हथियार नियंत्रण विशेषज्ञ मिल्टन लेटेनबर्ग के मुताबिक, रूसी इतिहास ऐसी भ्रामक सूचनाएं फैलाने से अटा पड़ा है। 1980 के दशक में भी रूसी एजेंसियों ने अमेरिका पर एचआईवी वायरस बनाने आरोप लगाया था। किंग्स कॉलेज, लंदन में विज्ञान व अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की वरिष्ठ प्राध्यापक फिलिपा लेंट्जोस के मुताबिक, इन प्रयोगशालाओं का उपयोग जैविक हथियार बनाने में नहीं हो रहा था और इससे जुड़े रूस के आरोप सरासर गलत हैं। एजेंसी

अमेरिका में रूसी राजदूत अनातोली अनातोनोव ने यूक्रेन में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की अमेरिकी चेतावनी को रूस को बदनाम करने की कवायद करार दिया है। उन्होंने कहा, इन आरोपों का जरा भी मूल्य नहीं है और अमेरिका ने कोई साक्ष्य तक नहीं दिया है। यह हमारे देश के खिलाफ दुष्प्रचार की कोशिश मात्र है। राजदूत के मुताबिक, अमेरिका के उलट रूस 2017 में तमाम रासायनिक हथियारों की सामग्रियां नष्ट कर चुका है। इस पर पुख्ता दस्तावेज मौजूद हैं। लिहाजा, इनके उपयोग का आरोप बेबुनियाद है।

अमेरिका ने रूस पर जैविक हथियारों के मसले पर सुरक्षा परिषद के जरिये झूठ फैलाने का आरोप लगाया है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि लिंडा ग्रीनफील्ड ने कहा, यूक्रेन में रासायनिक व जैविक हथियारों के इस्तेमाल की रूसी योजना पर परदा डालने के लिए सुरक्षा परिषद के मंच का दुरपयोग किया जा रहा है।

लिंडा ने कहा, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सुरक्षा परिषद को पहले ही आगाह किया था कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेनी लोगों के खिलाफ हमलों को सही ठहराने के लिए रासायनिक व जैविक हथियारों के आरोप गढ़ेंगे। जबकि, असल में रूस झूठ के पर्दे के पीछे नरसंहार के लिए रासायनिक व जैविक हथियारों का इस्तेमाल करेगा।

असल में रूस ने अपने आरोपों पर अमेरिका और यूक्रेन से जवाब देने की मांग करते हुए एक बैठक आयोजित करने को कहा था, लेकिन दोनों देशों ने रूस की मांग को ठुकरा दिया है। रूस ने यूक्रेन की कीव समेत कई जैविक प्रयोगशालाओं को अपने हमलों का निशाना भी बनाया है।

मॉस्को का कहना है कि यूक्रेनी सेना युद्ध में जैविक हथियारों का इस्तेमाल कर रही है। यूक्रेन और अमेरिका पहले ही साफ कर चुके है इन प्रयोगों का उद्देश्य प्राकृतिक या मानव निर्मित जैविक प्रकोपों की संभावना को कम करना है।

संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया ने कहा कि हमने कीव शासन द्वारा अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के समर्थन से सैन्य जैविक कार्यक्रम के संचालन का पता लगाया है।