कांग्रेस का विकल्प बनते केजरीवाल

श्याम यादव

पंजाब में “आप” की विजय क्या इस बात के संकेत हैं कि अब देश में कांग्रेस की जगह ‘आप’ ही भारतीय जनता पार्टी को टक्कर देने के लिए खड़ी हो रही है? क्या इसका क्या यह आशय निकाला जाए कि अब देश में कांग्रेस के विकल्प के रूप में ‘आप’ को स्वीकारा जाने लगा है?
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का बड़ा हंगामा था। इसे दिल्ली का सेमीफाइनल तक कहा गया। उत्तरप्रदेश से लगाकर मणिपुर तक भाजपा को घेरने के हर संभव प्रयास हुए, पर नतीजा सिफर रहा! यहां तक तो ठीक है, पर कांग्रेस और भाजपा की इस रस्साकशी में ‘आम आदमी पार्टी’ ने जो किया, वो भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा चमत्कार है। उसने पंजाब से कांग्रेस की सरकार को बाहर करके कब्ज़ा जमा लिया। चुनाव परिणाम भले भारतीय जनता पार्टी की मंशा के अनुरूप आए हो, पर ‘आप’ की जीत उसके लिए भी खतरे की घंटी है।
पंजाब में सत्ता के गलियारों से दूर हुई कांग्रेस को देखकर यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘कांग्रेस विहीन भारत’ की मुहिम को एक और सफलता हासिल हुई। लेकिन, इसी के साथ भारतीय राजनीति के क्षितिज पर एक दल ने राजनीति में एक नया अध्याय जरूर लिख दिया l ये नया अध्याय लिखा है ‘आप’ ने l दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाक के नीचे सत्तारूढ़ ‘आप’ पार्टी ने अब राष्ट्रीय स्तर पर पैर जमाने शुरू कर दिए हैं l भाजपा और कांग्रेस के बाद आप ऐसी तीसरी राजनीतिक पार्टी हो गई है जिसकी कि एक से अधिक राज्यों में सरकार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कांग्रेस विहीन भारत की कल्पना को भले ही पंजाब में स्वीकार किया गया हो और कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया हो! लेकिन, इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को नहीं मिला। जैसा दिल्ली में हुआ वैसा ही पंजाब में भी हुआ। दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार थी, जो अब नहीं है। लेकिन, इन जगहों पर कांग्रेस के बाद भारतीय जनता पार्टी अपने पैर नहीं जमा सकी। दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार के बाद अरविंद केजरीवाल की सरकार बनी और दोबारा भी यही सरकार कायम हुई। यानी जहां कांग्रेस थी वहां आप ने अपना कब्जा जमा लिया।

इसी तरह पंजाब में भी चन्नी सरकार के बाद ‘आप’ की सरकार बनने जा रही है। जहां कांग्रेस का शासन था वहां अब कांग्रेस नहीं है। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी को भी लोगों ने उसके विकल्प के रूप में नहीं चुना। कांग्रेस, के मैदान से हटते ही जो रिक्त स्थान हुआ, उस पर
भाजपा नहीं बल्कि आप कब्जा करती जा रही है। कहा जा सकता है कि अब देश में कांग्रेस की जगह ‘आप’ ही भारतीय जनता पार्टी को टक्कर देने के लिए खड़ी हो रही है। इसका क्या यह आशय निकाला जाए कि अब देश में कांग्रेस के विकल्प के रूप में ‘आप’ को स्वीकारा जाने लगा है! हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जनाधार अपनी दूसरी पारी में भी कायम है।

आज भी अपनी पार्टी के साथ देश के लोगों में लोकप्रिय उतने ही लोकप्रिय हैं, जितने अपने पहले कार्यकाल में थे। उनकी कई कल्याणकारी योजनाएं उन्हें लोकप्रिय बनाने में सहयोगी है। नोटबंदी की ही तरह बेरोजगारी, महंगाई, किसान आंदोलन जैसे अनेक मुद्दे उन्हें और उनकी पार्टी को नहीं डिगा सके।

विधानसभा चुनावों के पहले उनकी गंगा में लगाई ‘डुबकी’ में ये सारे मुद्दे डूब गए और राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और मथुरा मंदिर जैसे धर्म आस्था में मोदी और उनकी पार्टी इन चुनावों को पार कर गई। अब, जबकि आने वाले दिनों में गुजरात विधानसभा के चुनावों के बाद लोकसभा के भी चुनाव होना है। लगता नहीं कि कोई बाधा प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के आड़े आएगी। मगर ये तय है कि स्वच्छ भारत के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस झाड़ू को उठाया था, वही झाड़ू उनके सामने आ सकता है।

देश की राजनीति में कांग्रेस का विकल्प बनी ‘आप’ पार्टी के कर्ताधर्ताओं में कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाला नहीं है। इस कारण ‘आप’ अभी तक राजनीतिक प्रपंच से भी दूर है। यदि इसी तरह की राह पर वह चलती रही तो देश की राजनीति के शिखर पर भी जाने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।

(अमर उजाला के धन्यवाद के साथ)